ये आप पंकज उधास का हैंगओवर कहे या कुछ और, लेकिन कल से लगातार उन्ही के गाने, ग़ज़लें सुन रहा हूँ. आज फिर दो गीत ले के आया हूँ , आशा है की आपको पसंद आएगी.
तेरा उलझा हुआ दामन, मेरी उलझन तो नहीं
जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं..
यूँ यकायक मुझे बरसात की क्यों याद आई,
जो घिरा है तेरी आँखों में वो सावन तो नहीं..
जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं..
उसके लहराने से हस्ती के कदम काँप गए,
जिसको कहते हैं कफ़न वो तेरा दामन तो नहीं..
जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं..
अपने मुखर की तुझे इनमे भला क्यों है तलाश,
मेरी आँखें हैं तेरे सामने, दर्पण तो नहीं..
जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं..
अब एक और गज़ल सुन लें पंकज उधास की आवाज़ में..
तुम न मानो मगर हकीकत है
इश्क इंसान की जरुरत है..
हुस्न ही हुस्न, जलवे ही जलवे,
सिर्फ अहसास की जरुरत है..
इश्क इंसान की जरुरत है..
उसकी महफ़िल में बैठ कर देखो,
जिंदगी कितनी खूबसूरत है..
इश्क इंसान की जरुरत है..
जी रहा हूँ, इस एतमात के साथ,
जिंदगी को मेरी ज़रूरत है..
इश्क इंसान की जरुरत है..
तुम न मानो मगर हकीकत है,
इश्क इंसान की जरुरत है..
अगले पोस्ट में एक नयी गज़ल रहेगी पंकज उधास की..
जवानी के दिनों में बहुत गजल सुने हैं और ये दूसरी वाली तो बेहद पसंद थी, आज फ़िर एक बार सुनी :)
ReplyDeletedoosri wali kisne likhi hai abhi?
ReplyDelete@पंकज,
ReplyDeleteजहाँ तक मुझे पता है इसे काबिल अजमेरी साहब ने लिखा है, फिर भी सही से नहीं कह सकता..शायद इन्होने ही लिखा है, लेकिन पूरी गज़ल ये है...
कुछ तो दिल मुबत्ला ए वहशत है,
कुछ तेरी याद भी क़यामत है..
मेरे महबूब मुझसे झूठ न बोल,
झूठ सूरत-ए-गर सदाकत है
रास्ता कट ही जाएगा काबिल
शौक ए मंजिल अगर सलामत है
(कुछ और भी थे इसमें, लेकिन मेरे पास इतना ही है)
gazal kee kuchchh panktiya yad thee ..aaj pura padh kar bahut hee achchha laga....swagat ke sath vijayanama.blogspot.com
ReplyDeletefist i woold like o thank you very much for reading my blog..:)kaffi shayraana mijaaz malum hota hai aap ka aur choice bhi bahut acchi hai..keep writting and keep listing the musice bcoz i think music is the voice of your soul .and pankaj udhas is one of my fav...singer so keep writting keep listing...best of luck
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