इस ब्लॉग में मेरा ये पहला पोस्ट है.तो सोचा क्यों न आप सभी के सामने वो गीत पेश करूँ जो मैं अक्सर सुनता हूँ.इस गीत की सबसे बड़ी खासियत ये है की आप अपने बचपन के दिनों में घुमने लगेंगे गीत सुनने के बाद ;)
फिल्म देवर का ये गीत के गायक थे मुकेश. और संगीत दिया था रोशन लाल ने. रोशन लाल अभिनेता-डाइरेक्टर राकेश रोशन और संगीतकार राजेश रोशन के पिता थे. इस गाने के गीतकार थे आनंद बक्शी.
ये गीत मेरे लिए कुछ मायनो में ख़ास भी है.जब मैं बारहवीं में था तब ये गीत मैंने पहली बार सुना था और बता नहीं सकता मुझे उस वक़्त कितनी ज्यादा पसंद आयीं थी.आप भी सुने....
आया है मुझे फिर याद वो जालिम
गुजरा जमाना बचपन का.....
हाय रे अकेले छोर के जाना
और ना आना बचपन का
आया है मुझे फिर याद वो जालिम..
वो खेल वो साथी वो झूले..
वो दौड़ के कहना आ छु ले
हम आज तलक भी ना भूलें..
वो ख्वाब सुहाना बचपन का
आया है मुझे फिर याद वो जालिम...
इसकी सबको पहचान नहीं..
ये दो दिन का मेहमान नहीं
मुश्किल है बहुत आसन नहीं..
ये प्यार भुलाना बचपन का
आया है मुझे फिर याद वो जालिम...
मिलकर रोये..फ़रियाद करें
उन बीते दिनों की याद करें..
ऐ काश कहीं मिल जाए कोई,
युं मीत पुराना बचपन का..
इस गाने का विडियो डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें. और इसी गाने को MP3 फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए इधर क्लिक करें..
एक और गाना है, थोडा नया.. आतिफ असलम ने गया है ये गाना.
इस गाने में भी एक मिठास है, आप खुद ही सुन लें ये गाना भी..
इस गाने का भी अगर MP3 फाइल डाउनलोड करना हो तो यहाँ क्लिक करें.और अगर विडियो डाउनलोड करना हो तो इधर क्लिक करें..
और अंत में चलते चलते शुक्रिया प्रशांत का , की उसने मुझे इस ब्लॉग का एक सदस्य बनाया.. :)
चलो बहुनी भी हो गया.. और बढ़िया हुआ.. :)
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