गज़लों में सबसे पहले अगर किसी गज़ल गायक का मैं फैन बना तो वो पंकज उधास ही हैं, इसका कारण बस ये था की घर में पापा सुनते थे पंकज उधास की ग़ज़लें और कुछ कैसेट घर में पहले से मौजूद थीं..उनकी ये गज़ल काफी चर्चित रही है, आप सब ने सुना भी होगा कई बार, ये गज़ल मुझे खासकर के अच्छी इसलिए लगती है क्यूंकि कुछ बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं इस गज़ल से.
बेपर्दा नज़र आयी कल जो चन्द बीबियां
अकबर ज़मीं में गैरत-ए-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो मैने आप का पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगीं के अक़्ल पे मर्दों की पड़ गया…
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
सब कुछ हमें खबर है नसीहत न कीजिये
क्या होंगे हम खराब, ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
पीने का दिल जो चाहे उन आँखों से पीजिए
मत पीजिए शराब, ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
मतलब छुपा हुआ है यहां हर सवाल में
तू सोचकर जवाब, ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
राशिद तुम आ गये हो ना आखिर फ़रेब में
कहते न थे जनाब, ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
विडियो देखें, पंकज उधास एक कोंसर्ट में...
बहुत अच्छी लगती थी। आपने याद दिला बड़ा उपकार किया।
ReplyDeleteवाह वाह दोस्त.. कमाल कि गजल है.. पहली बार सुना मैंने..
ReplyDeleteਬੰਬ ਆ
ReplyDelete